मकान | अनंत मिश्र
मकान | अनंत मिश्र

मकान | अनंत मिश्र

मकान | अनंत मिश्र

आदमी के ऊपर छत होनी ही चाहिए
वह घरेलू महिला
हमेशा मिलने पर कहती है
उसका बंगला नया है
उसके नौकर उसके लान की सोहबत ठीक करते हैं
और वह अपने ड्राइंगरूम को
हमेशा सजाती रहती है।
मैंने नीले आसमान के नीचे
खड़े हो कर अनुभव किया
कि छत मेरे सिर से शुरू होगी
या मेरे सिर के कुछ ऊपर से
जब मैं मकान बनाऊँगा,
अब मैं मकान हो गया था
और मेरी इंद्रियाँ जँगलों की तरह
प्रतीक्षा करने लगी थीं
मैंने सोचा
यह रहे मेरे नौकर-चाकर
मेरे हाथ और पाँव
यह रहा मेरा दरवाजा मेरा चेहरा
यह रहा मेरा डायनिंग रूम
मेरा पेट
यह रहा मेरा खुला हुआ बरामदा
मेरी छाती
यह रहे कैक्टस कँटीले
मेरी दाढ़ी-मूँछ
और यह रहा मेरा दिल
मेरा ड्राइंगरूम
मैंने पूरा मकान मिनटों में
खड़ा कर लिया था,
और अब मैं आराम से
सैर पर जा सकता था
जेब में मूँगफली भरे हुए
और चिड़ियों से मुलाकात करते हुए।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *