उमेश चौहान
उमेश चौहान

हिम्मत न हारना मैना,
अभी तो तुम्हें बहुत कुछ गाना है
ढेर सारा नया-नया नई धुन में सुनाना है
अभी तो पिंजड़े से बाहर आकर तुम्हें
आजादी का जश्न भी मनाना है
अब कभी रोने या रुला देने वाले अंदाज में मत गाना मैना।
मैना, अब तुम बाज से कभी नहीं डरना

उसके खूनी पंजों के भय से
कहीं सींकचों में दुबककर नहीं मरना
मैना अभी तो तुम्हें बाज की चोंचों के
आघातों की पीड़ा का बयान करना है
मैना, अभी तो तुम्हें अपनी देह से टपकी एक-एक बूँद से
दुनिया में फैली नकली सफेदी को लाल करना है।

मैना, अभी तो तुम्हें बुलंद आवाज में भी कुछ सुनाना है
मैना, अभी तो तुम्हें शहादत के गीत गाना है
मैना, अभी तो तुम्हें अपनी पूरी कौम को
खुले आकाश में उड़ना सिखाना है
मैना अभी तो तुम्हें अपने हिस्से के दाना-पानी पर
अपना नैसर्गिक अधिकार जमाना है।

मैना, अभी तो बदलाव की शुरुआत भर हुई है
अभी तुम दुश्चिंताओं से घबराकर कहीं ठिठक मत जाना
अभी तो तुम्हें दुनिया में अपनी सुरीली जंग का लोहा मनवाना है
मैना, बस अब तुम्हें आज के बाद
अपनी मीठी तान में थोड़ी-सी
पंखों की प्रतिरोध-भरी फड़फड़ाहट की
संगत भी मिलाना है।
हिम्मत न हारना, मैना,
अभी तो यहाँ तुम्हें बहुत कुछ गाना है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *