मैं सोचता था
नहीं हम सोचते थे
आकाश और धरती
के रिश्ते के बारे में
लेकिन आज भी
मुझे नहीं हमें
समझ नहीं आई
कि सब आते हैं
धरती की गोद से
और सब लौटते हैं
आसमान की तरफ!
यह कैसे?
मैं नहीं हम नहीं सब
लाजवाब हो खड़े हैं!
मैं सोचता था
नहीं हम सोचते थे
आकाश और धरती
के रिश्ते के बारे में
लेकिन आज भी
मुझे नहीं हमें
समझ नहीं आई
कि सब आते हैं
धरती की गोद से
और सब लौटते हैं
आसमान की तरफ!
यह कैसे?
मैं नहीं हम नहीं सब
लाजवाब हो खड़े हैं!