मछुआरे | घनश्याम कुमार देवांश
मछुआरे | घनश्याम कुमार देवांश

मछुआरे | घनश्याम कुमार देवांश

मछुआरे | घनश्याम कुमार देवांश

विंध्य घुटनों के बल
एक उदास बूढ़े की तरह बैठा था
और मछुआरे गंगा में डूबे साध रहे थे मछलियाँ
उनके चेहरे पर एक पवित्र मुस्कान थी
मंदिर से लौट रही औरतों
और पुजारियों से भी कहीं अधिक पवित्र मुस्कान
मैं हैरान था मछलियाँ मारने के काम में
इतनी पवित्रता देखकर

Leave a comment

Leave a Reply