लोककथा | केदारनाथ सिंह
लोककथा | केदारनाथ सिंह

लोककथा | केदारनाथ सिंह

लोककथा | केदारनाथ सिंह

जब राजा मरास
सोने की एक बहुत बड़ी अर्थी बनाई गई
जिस पर रखा गया उस का शव
शानदार शव जिसे देखकर
कोई कह नहीं सकता
कि वह राजा नहीं है

सबसे पहले मंत्री आया
और शव के सामने
झुककर खड़ा हो गया

फिर पुरोहित आया
और न जाने क्या
कुछ देर तक होठों में बुदबुदाता रहा
फिर हाथी आया
और उसने सूँड़ उठाकर
शव के प्रति सम्मान प्रकट किया
फिर घोड़े आए नीले-पीले
जो माहौल की गंभीरता को देखकर
तय नहीं कर पाए
कि उन्हें हिनहिनाना चाहिए या नहीं
फिर धीरे-धीरे
बढ़ई
धोबी
नाई
कुम्हार – सब आए
और सब खड़े हो गए
विशाल चमचमाती हुई अर्थी को घेरकर

अर्थी के आसपास
एक अजब-सा दुख था
जिसमें सब दुखी थे
मंत्री दुखी था
क्योंकि हाथी दुखी था
हाथी दुखी था
क्योंकि घोड़े दुखी थे
घोड़े दुखी थे
क्योंकि घास दुखी थी
घास दुखी थी
क्योंकि बढ़ई दुखी था…

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *