लोहा | मुकेश कुमार लोहा | मुकेश कुमार अगर लोहा होतो साथ रहो आग केतपोगे, गलोगेकभी हँसिया,हथौड़ाया हथियार में ढलोगेजो पड़े रहे कहीं भीतो लगेगी जंगबदल जाएँगे रंग-ढंगकबाड़ कहलाओगेकबाड़ के भाव ही आँके जाओगे।