कोशिश एक कदम | रेखा चमोली
कोशिश एक कदम | रेखा चमोली

कोशिश एक कदम | रेखा चमोली

कोशिश एक कदम | रेखा चमोली

चेहरे     चेहरे     चेहरे
चौतरफा घेरते हुए

टूटे सपनों की किरचों से
घायल चेहरा
कूड़े की थैली पर घात लगाए
भूखा चेहरा
हर तरफ से हारकर
भीख माँगने बैठी माँ का
गंगाजली चेहरा
खून का पानी बनाने की
हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी
रोटी को सोचता
ओस से रात भर भीगता चेहरा

See also  टेलीफोन पर बहन | हरप्रीत कौर

कुछ चेहरे प्रश्नों से भरे
लहूलुहान, कँपकँपाते, निचुड़ते, सूखते

तमाम तारबाड़ों के बावजूद
कभी कभार
इन ऊबड़ खाबड़ चेहरों
पीली आँखों पर हँसी
बरसाती नदी सी दूर तक सुनाई देती

वहीं कुछ चेहरे कई परतें लिए
मौकानुसार रूप धरते, रंग बदलते

ठहाके लगाते या मुस्कुराते आँखों आँखों में
ठहाके लगाते चेहरों के ठहाके
दिन ब दिन कर रहे अतिक्रमण
संवेदनाओं पर, भावनाओं पर
पीली आँखों से झरती
आत्मीय हँसी पर
ऊबड़ खाबड़ चेहरों की रोटी, पानी, जंगल,नदी
गीतों कहानियों, आकाश और हवाओं पर

See also  इतने अधिक अपराध, इतने कम प्रायश्चित | विमल चंद्र पांडेय

ऊबड़ खाबड़ चेहरों, पीली आँखों की
हँसी बनी रहे
ऐसा कुछ करते रहना पड़ेगा।

Leave a comment

Leave a Reply