खुरदुरे पैर की जमीन | प्रदीप त्रिपाठी
खुरदुरे पैर की जमीन | प्रदीप त्रिपाठी
सदियों से देख रहा हूँ मैं
इन्हीं खुरदुरे पैरों को
हाँफता
झुँझलाता
काँपता
बौखलाता हुआ
पर…
कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ
इन फटेहाल पैरों का
जिनकी दरारें धीरे-धीरे
अब और बढ़ती जा रही हैं
दिन-प्रतिदिन…