कविता की सिफत | नरेंद्र जैन
कविता की सिफत | नरेंद्र जैन

कविता की सिफत | नरेंद्र जैन

कविता की सिफत | नरेंद्र जैन

(शलभ श्रीराम सिंह के वास्ते)

हम वाहन पर सवार थे 
चालक से कह दिया गया था कि 
हमारा कोई गंतव्य तय नहीं 
और उसे नहीं होना चाहिए कोई उज्र 
कि वाहन लगातार दौड़ा ही जा रहा 
चालक भी हुआ उत्साहित कि 
हुए मयस्सर अर्से बाद ऐसे बेवकूफ

हम लगातार गति में रहे 
कि खास घर को देख मेरा सहयात्री 
वाहन रुकवाता 
उसे लगता कि वह भटक गया और 
दोबारा बढ़ते हम गली-कूचों की जानिब

चालक जब थककर होता निढाल 
हम उतरते अदब से पैसे चुकाते 
उतने ही अदब से पेश करते उसे एक सिगरेट 
पूछते उसका नाम पता और वल्दियत 
वह करता देर तक हमारा शुक्रिया अदा

दोस्त को अपने गंतव्य का पता था 
लेकिन जहाँ जाना था वहाँ 
जाना ही नहीं चाहता था वह 
लेकिन जाने के नाम पर भटकता ही रहा डेढ़ घंटे तक

शायद यही ठहरी 
दोस्त की कविता की सिफत

शलभ श्रीराम सिंह : दिवंगत हिंदी कवि और नवगीत काव्यधारा के प्रमुख कवियों में से एक युयुत्सावादी कवि।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *