कहाँ छिपकर बैठे हो प्रभु जी, जरा आजा पास हमारे
तेरे बिना तरस रहे हैं, ये दो नैन बेचारे
बड़ी देर कर दी भगवन, मेरे घर आने में –
तूने अहिल्या को मुक्त किया
सबरी के बेर भी खा लिया
सूरदास को तार दिया, उनके तार बजाने में
बड़ी देर कर दी भगवन, मेरे घर आने में –
गणिका की भक्ति अपार
कुबेर का भर दिया भंडार
हनुमान को कर दिया पार, उनके शीश झुकाने में
बड़ी देर कर दी भगवन, मेरे घर आने में –
जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ
रो-रो किया पुकार मन-ही-मन
तब कृष्ण का डोल गया आसन, न किया देर उनका चीर बढ़ाने में
बड़ी देर कर दी भगवन, मेरे घर आने में –