जीवन जीने की प्यास | प्रभात रंजन
जीवन जीने की प्यास | प्रभात रंजन

जीवन जीने की प्यास | प्रभात रंजन

जीवन जीने की प्यास | प्रभात रंजन

हत आस्था
लहू में लथपथ
पराजित सैनिक की

कुहनियों के बल, श्लथ
मृतवत साँप-सी रेंगन
दो बूँदों की हँपहँपाती प्यास –

जीवन की,
जिजीविषु की,
ऐसी जिजीविषा !

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