Contents
- 1 जीने की इच्छा का ताप | प्रतिभा कटियारी
- 2 Pratibha Katiyar Stories / Poems
- 2.1 हरा | प्रतिभा कटियारी
- 2.2 हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी
- 2.3 सौंदर्य | प्रतिभा कटियारी
- 2.4 सिर्फ तुम्हारा खयाल | प्रतिभा कटियारी
- 2.5 सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँ… | प्रतिभा कटियारी
- 2.6 शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी
- 2.7 शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी
- 2.8 वही बात | प्रतिभा कटियारी
- 2.9 रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी
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जीने की इच्छा का ताप | प्रतिभा कटियारी
जीने की इच्छा का ताप | प्रतिभा कटियारी
गणित के पास नहीं है
जीवन के सवालों के हल
इसलिए अपने सवालों के साथ
बैठना किसी नदी के किनारे
या खो जाना किसी रेवड़ में
बीच सड़क पे नाचने में भी कोई उज्र नहीं
न जुर्म है आधी रात को
जोर से चिल्लाकर सोए हुए शहर की
नींद उखाड़ फेंकने में
बस कि खुद को पल-पल मरते हुए
मत देखना चुपचाप
अपना हाथ थामना जोर से
और जिंदगी के सीने पे रख देना
जीने की इच्छा का ताप
जिंदगी धमनियों में बहने लगेगी
आहिस्ता-आहिस्ता…
waah waah….behad umdaa