अंदर कभी समुद्र-मंथन चलता है,कभी ज्वालामुखी फूटता है,कभी दावाग्नि लगती है,कभी बर्फ जमती है,कभी बरसात होती है,कभी आँधी-तूफान चलता है,सब कुछ बाहर से क्यों नहीं गुजर जाता? जड़ें तो न हिलतींपेड़ की।