इसी कोलाहल में | पंकज चतुर्वेदी
इसी कोलाहल में | पंकज चतुर्वेदी

इसी कोलाहल में | पंकज चतुर्वेदी

इसी भीड़ में संभव है प्रेम 
इसी तुमुल कोलाहल में 
जब सूरज तप रहा है आसमान में 
जींस और टी-शर्ट पहने वह युवती 
बाइक पर कसकर थामे है 
युवक चालक की देह

इसी भीड़ में 
संभव है प्रेम

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