इंतजार | अरुण कमल इंतजार | अरुण कमल जिसने खो दी आँखें वह भी एक बारझाड़ता है अपनी किताबेंबादल गरजते हैं उसके लिए भीजो सुन नहीं सकताजो चल नहीं सकता उसके सिरहाने भीरखा है एटलसजिससे कभी किसी ने साँस नहीं बदलीउसे भी इंतजार है शाम का।