Tushar Dhawal
Tushar Dhawal

यह अंतिम है 
और इसी वक़्त है 
परिणति का कोई निर्धारित क्षण नहीं होता

मेरी ज़ुबान भले ही तुम ना समझो 
लेकिन मेरी भूख 
तुमसे संवाद कर सकती है

हमारे सपनों का नीलापन हमारे होने का उजास नहीं 
यह रक्तपायी कुर्सियों के नखदंशों का नक्शा है 
जो सत्ता में सहवास की सड़कों का पता बताता है

यही अंतिम है 
और इसी वक़्त है

तुम्हारी आत्महत्याएँ प्रवंचना हैं 
दुखी-अपनों से निरर्थक संवाद 
महानायकों के विश्वासघाती चेहरों के 
दर के भोथरेपन से उपजी हुई 
अपनी हताशा का

झंडों के रंग कुछ भी रहें 
सत्ता का रंग वही होता है

कई मुद्दों पर 
सत्ता की गलियों में मतभेद नहीं होता 
बहस नहीं होती – 
यह हमारी हवस का लोकतंत्र है

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