हमेशा जवान है हमारा प्यार
हमेशा जवान है हमारा प्यार

तुम्हारे 
धान के खेत की गीली मिट्टी जैसे 
हृदय में 
हमने रोपा है प्यार 
रोपा है बार-बार

गीली मिट्टी में 
धँसे हैं 
हमारे खुरदुरे पैर 
नापी है 
धरती की कोख की गहराई 
निकाली है 
व्यापक सोंधी गंध 
गंध जिसने सिर्फ 
पुरवा बयार को गदराया है 
बल्कि नन्हें सूरज को भी ललकारा है 
उठो/जागो/बढ़ो 
अंधकार के गर्त से बाहर 
आजाद

तभी तो 
दहकते सूरज ने 
सबसे पहले हमारे प्यार को दिया है 
अपनी पहली किरन का जुझारू उपहार 
चमकते चाँद ने परोसा है 
कौंधती चाँदनी का उदार दूध 
रात रानी ने 
झकझोरकर रात का 
अंतिम मदहोश पहर 
टाँक दिए हैं 
हमारे प्यार के नरम पात पर 
नन्हें-नन्हें तरल मोती

ब्रह्मांड भर के सम्मिलित उपहार ने 
पैदा की है ऊष्मा और ऊर्जा 
जिसमें तपकर 
हमारे प्यार ने उगाए हैं 
और कई पौद 
पौदों ने गढ़े हैं 
धान के मजबूत बिट्टे 
बिट्टों ने निकाले हैं 
नए पत्तों के कई कई संस्करण 
नाप ली है 
आकाश की ऊँचाई 
थाह लिया है – 
सूरज की आग और 
चाँद की शीत का 
अथाह रहस्य 
जाँची है बार-बार 
अपनी ही जड़ों की शक्ति

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जड़ों ने 
गीली मिट्टी के जर्रे जर्रे से 
खींचकर जीवन-रस 
हरा-भरा बनाए रखा है 
संपूर्ण अस्तित्व

तुम्हारे खेत की गीली मिट्टी 
लगातार 
पोख्ता होती चली गई है 
जवान होता चला गया है 
पौदा हमारे प्यार का

जवान पौद ने उगाई हैं 
जवान होती बालियाँ 
इन पर बार बार 
सूरज और चाँद और रात और हवा ने 
माता और पिता और नजदीकी दोस्तों की तरह 
की है चुंबनों की वर्षा-लगातार

इन्हें बार बार 
हमारे मजबूत हाथों ने दुलारा है 
जिनकी उँगलियों के पोर पोर 
धान के पौद रोपते हुए 
गीली मिट्टी में धँसे थे 
और पोख्ता हो गए थे

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हमारे हाथों की कठोरता 
और हमारी उँगलियों की दृढ़ता 
प्यार और मिट्टी का इस्पाती संबंध है 
यही अटूट संबंध तो 
भर गया है 
धान की बालियों में मीठा दूध 
जिसके मीठेपन का रोमांचक अहसास 
किया है हमने 
दाँतों तले दबे नरम धड़कते दानों में 
जिसने ढाल दिया है हमें 
माँ के वत्सल स्तनों से 
दुग्ध चुंबित शिशु

तुम्हारा शिशु 
धीरे धीरे धान की 
नई नई बालियों में 
ले रहा है ठोस रूप 
सुनहले गौरव भार से नत हो रही है 
रंग और गंध और 
यौवन के ज्वार से उमड़ती 
धरती की साकार उर्वरा शक्ति

हमारा प्यार हमेशा जवान है 
खेत मजदूर के पैने हँसिए की तरह 
जो जीवन की फसल काटकर 
ले जाता है खलिहान

हमेशा जवान है हमारा प्यार 
क्योंकि 
बैलों के कठोर खुर के नीचे 
पिसकर भी 
धन की बाल 
टूटते नहीं 
अलग होते हैं 
मोतियों की तरह साबुत, आबदार 
एक नई चमक 
एक नई गंध के साथ

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हमारा प्यार हमेशा जवान है 
क्योंकि थ्रेसरों में कुचलकर भी 
धान की बालियों से दाने 
चूर नहीं होते 
अलग होते हैं 
दुःस्वप्नों के जाल 
छिन्न-भिन्न करते 
आदमी की तरह साबुत, शानदार 
एक नई चमक 
एक नई गंध के साथ

जवान है हमेशा हमारा प्यार 
क्योंकि इन्हीं दानों से 
पकता है भात

भात-जो जीवन और गति और ऊर्जा का 
स्रोत है

हमेशा जवान है हमारा प्यार 
बढ़ता जाता है 
मिट्टी से मिट्टी तक 
सारी पृथ्वी के जीवन पर लहराते हुए 
लोकगीतों की उदास और 
बहादुर स्वर-लहरी की तरह 
खेतों की तरह 
खलिहान की तरह 
खेतों-खलिहानों में खटते किसान की तरह 
मजदूरों के कदमों के जलते निशान की तरह 
कर्मठ 
सचेत 
जुझारू 
अजेय!

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