है मश्क़े-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी | हसरत मोहानी
है मश्क़े-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी | हसरत मोहानी

है मश्क़े-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी | हसरत मोहानी

है मश्क़े-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी | हसरत मोहानी

है मश्क़े-सुख़न जारी, चक्की की मशक़्क़त भी
इक तरफ़ातमाशा है हसरत की तबीयत भी

जो चाहो सज़ा दे लो तुम और भी खुल-खेलो
पर हम से क़सम ले लो की हो जो शिकायत भी

ख़ुद इश्क़ की गुस्ताख़ी सब तुझको सिखा देगी
अय हुस्न-ए-हया परवर शोख़ी भी शरारत भी

उश्शाक़1 के दिल नाज़ुक, उस शोख़ की ख़ू2 नाज़ुक
नाज़ुक इसी निस्बत से है कारे-महब्बत भी

अय शौक़ की बेबाकी वो क्या तेरी ख़्वाहिश थी
जिसपर उन्हें ग़ुस्सा है, इनकार भी ,हैरत भी

[1] आशिक का बहुवचन
[2] स्‍वभाव

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