लाइलक्स और ट्यूलिप अंकुरित होते हैं
उसकी भृकुटी से
उसका जर्द चेहरा
उजली धूप में झिलमिलाता है
उसकी देह, एक उजला बगीचा
जीवन के भीतर नाचता जीवन
पंख से हल्के पाँव
बढ़ता हुआ पेट, हल्केपन में फूला हुआ
कसा हुआ स्पंज
मकाउ के
किले के खंडहर में
सुस्त अतीत,
आरामदायक मार्ग पर
पुर्तगाली भाषा में इतिहास फुसफुसाते हुए,
उसके हाथ अंदर के बच्चे को सहलाते हुए
गोल-गोल घूमते हैं,
पुराना वक्त
बरगद के पेड़ की
थकी शाखाओं से
जड़ों की ओर लटका हुआ है;
वर्तमान के गढ़ से
भविष्य के झोंके उड़ाते हुए,
अपनी देह का गीत गाते हुए
औरत चल रही थी
धुएँ और धूल से गुजरते हुए
हमारी नजरें मिली,
चीनी की भारतीय से मुलाकात,
मातृत्व से जुडी हुई
अंग्रेजी की मध्यस्थता के बिना;
हमारे पेटों में
उठती छोटी-छोटी हरकतें
समुद्र को मथती मछलियों की तरह,
आकाश में पंख फड़फड़ाते पक्षी
प्रकाश में प्रवेश और
नींद के आनंद बाहर निकलने को आतुर
झुकी पलकें, झपक रही थी बोझिल सी।