ध्वजारोहण | अभिमन्यु अनत
ध्वजारोहण | अभिमन्यु अनत

ध्वजारोहण | अभिमन्यु अनत

ध्वजारोहण | अभिमन्यु अनत

स्वतंत्रता की सालगिरह
या हो कोई खेल-कूद प्रतियोगिता
झंडा-आरोहण की रस्म तो होनी है
नेता का रिश्तेदार करे या खुद राजनेता
जब देश में तूफान न हो
और न हो कोई आक्रमण किसी आक्रांता का
तो झंडा आरोहण खास माने रखता ही कहाँ
क्या हुई राष्ट्रीयता की परिभाषा तब
माने तो उसका तब हुआ जब
देश में तुफानी तंगहाली हो
झुक गये, जमीन पर लुढ़क गये झंडे को
कोई निर्भिक और फौलादी हाथ बढ़ कर आगे
उसे ऊपर उठा सके सके फिर से
हवाओं से बातें करवा सके उसे
पर तब तो खेल-कूद प्रतियोगिता और
स्वतंत्रता की सालगिरह वाले हाथ
झंडे की रस्सी के बदले थामे होते हैं
एक हाथ में जाम और दूसरे हाथ में ब्लाउज के फीते।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *