धरहरिया | प्रकाश उदय
धरहरिया | प्रकाश उदय

धरहरिया | प्रकाश उदय

धरहरिया | प्रकाश उदय

हउ देखऽ, धइलसआ माचिस में कइ देलस बंद अगिनदेव के।।
देखऽ कि छँउकल आ धइ लेलस चान।।
धइले बा अँगुरी के टिपला में बिजुरी के सब-सब टिपवान।।
कि जवना के धुन धइलस, धइ लेलस धउरा के।।
जूता धरवा लेलस चउकठ के बहरा आ मंदिर में धइलस भगवान।।

आ हइ देखऽ, धइ लेले ‘धवकल’, नापत में आपन जब टोपरा बिगहिया,
‘धरिछना’ के तीन धूर धरती, धइलस धरिछना जरीब।।
हूरा के पँजरी में, पटकन के पीठ प,
मुकवसला-लतवसला के जहाँ तहाँ धइलस गरीब..।।
आ देखऽ कि केहू ना धइल धवकल के बाँह, केहू ना कइल धरहरिया।।

केहू ना धइल धवकल के बाँह, त दाँते से धइलस धरिछना।।
त पाछे से धइलस ‘फरिछना’।।
त आगे से से धइलस धवकल के लटकन,
धरिछना के भउजी, लटक गइलस बिहुनी।।

हइ देखऽ …हइ देखऽ …दाँते धराइल बा तीन धूर धरती।।
तीन धूर धरती पछवड़िए धराइल बा।।
तीन धूर धरती धइ लटकल बिया हइ धरिछना के भउजी।।
का चाहीं अउरी।।

अब सब धरहरिया में धउरी।।
धउरी त धउरी, ना धउरी नउजी।।
धउरो, धरो जाके चान।।
तीन धूर धरती हमार।।

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