दद्दू जी | ब्रिज नाथ श्रीवास्तव
दद्दू जी | ब्रिज नाथ श्रीवास्तव

दद्दू जी | ब्रिज नाथ श्रीवास्तव

दद्दू जी | ब्रिज नाथ श्रीवास्तव

देखो सौरभ
ये पेड़ आम के
हैं अपने बहुत सगे।

रोपा इन्हें
हाथ से अपने
दद्दू ने जलदान किया
दादा इन्हें
खाद हैं देते
बेटों-सा सम्मान दिया

इनके ही फूलों
और फलों से
हैं घर के भाग्य जगे।

इनके सारे
छह अंगों में
विचर रहे हैं दद्दू जी
वैसे तो
जड़ में ही रहकर
फल बन जाते दद्दू जी

दद्दू रहे
देख अपलक
हम-तुम भी रह गे ठगे।

हाँ, जब तक
इन पेड़ों में छाँव रहेगी
हवा बहेगी
पीढ़ी दर पीढ़ी
संतों-सी
दद्दू की कथा चलेगी।

फिर से दिन
फनुगाए देखो
फिर आमों में बौर लदे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *