काँक्रीट | नरेश सक्सेना
काँक्रीट | नरेश सक्सेना

काँक्रीट | नरेश सक्सेना

काँक्रीट | नरेश सक्सेना

आपस में सट कर फूटी कलियाँ
एक दूसरे के खिलने के लिए जगह छोड़ देती हैं

जगह छोड़ देती हैं गिट्टियाँ
आपस में चाहे जितना सटें
अपने बीच अपने बराबर जगह
खाली छोड़ देती हैं
जिसमें भरी जाती है रेत

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और रेत के कण भी
एक दूसरे को चाहे जितना भींचें
जितनी जगह खुद घेरते हैं
उतनी जगह अपने बीच खाली छोड़ देते हैं।
इसमें भरी जाती है सीमेंट

सीमेंट
कितनी महीन
और आपस में सटी हुई
लेकिन उसमें भी होती हैं खाली जगहें
जिसमें समाता है पानी
और पानी में, खैर छोड़िए

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इस तरह कथा काँक्रीट की बताती है
रिश्तों की ताकत में
अपने बीच
खाली जगह छोड़ने की अहिमयत के बारे में।

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