चिड़ियाँ गाते-गाते यह चिल्ला ती हैं | रमा सिंह
चिड़ियाँ गाते-गाते यह चिल्ला ती हैं | रमा सिंह
सरहद के उस पार से
काँटों की दीवार से
जाने कैसी गर्म हवाएँ आती है
चिड़ियाँ गाते-गाते ये चिल्लाती हैं।
केसर की क्यारी में देखो
कौन जहर ये घोल गया
काँप गया इतिहास, डोल
भारत का ये भूगोल गया
आँधी भरे घरों को जाने
कौन अचानक खोल गया
अंगारों के द्वार से
फिर बारूदी ज्वार से
जाने क्यों लहरें आकर टकराती हैं
चिड़ियाँ गाते-गाते…
नन्हें-नन्हें नक्षत्रों पर
काले बादल आज घिरे
जाने किस बादल से, नन्हें
फूलों पर अब गाज गिरे
और न जाने किस लावे की
नदिया में अब नाव तिरे
क्यों अब फूल कगार से
किस तूफानी धार से
मिल कर क्रूर आँधियाँ नाव डुबाती हैं
चिड़ियाँ गाते-गाते…
कोयल के स्वर से गूँजी
अमराई भी अब मौन हुई
खुशियों के घर में बजती
शहनाई भी अब मौन हुई
और प्यार में टूबी हर
अँगड़ाई भी अब मौन हुई
क्यों अब हरसिंगार से
जूही से, कचनार से
बातें करके किरणें शूल चुभाती हैं
चिड़ियाँ गाते-गाते…