भंगुर | कमलेश
भंगुर | कमलेश

भंगुर | कमलेश

भंगुर | कमलेश

मुट्ठी में लें इसे
मींड़ें
गूँथे
मरोड़ें
लोई बनाएँ।
लंबाएँ
गोलाएँ
हथेली में दबाएँ।

साँचे में ढालें
कोने,किनारे
तार से काटें।
चाक पर रखें
सुथारें

सुचारें
सँवारें
देवें आकार
सुखाएँ
पकाएँ
रोगन लगाएँ।
हाथ में लें
उलट-पलट
सहलाएँ
पोसाएँ
चुमचुमाएँ

सब कुछ करें
सँभालें इसे
यह टूटे नहीं
यह भंगुर है
यह जीवन है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *