बेटियाँ | मनोज तिवारी
बेटियाँ | मनोज तिवारी

बेटियाँ | मनोज तिवारी

बेटियाँ | मनोज तिवारी

बेटियाँ 
लाडली होती हैं पिता की 
सखी होती हैं माँ की 
पिता के दहाड़ने पर 
ढाल बनती हैं भाइयों की 
घर में 
इस कोने से 
उस कोने तक 
अनुशासन की डोर 
होती हैं बेटियाँ । 
बेटियाँ 
जब विदा होती हैं 
टूट जाता है पिता 
बिछड़ जाती है माँ 
अपनी सखी से 
अपनी बहनों से 
अलग हो उन्मत्त 
हो जाता है भाई । 
बेटियाँ 
घर की 
होती हैं रौनक 
बेटियों के न 
होने से 
उदास हो जाता है 
घर।

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