बहुत कुछ... | आरसी चौहान
बहुत कुछ... | आरसी चौहान

बहुत कुछ… | आरसी चौहान

बहुत कुछ… | आरसी चौहान

सुना है 
हवा को दमें की बीमारी लग गई है 
चारपाई पर पड़ी 
कराह रही है 
औद्योगिक अस्पताल में 
कुछ दिन पहले 
कई तारे एड्स से मारे गए 
अपना सूर्य भी 
उसकी परिधि से बाहर नहीं है 
अपने चाँद को कैंसर हो गया है 
उसकी मौत के 
गिने चुने दिन ही बचे है 
आकाश को 
कभी-कभी पागलपन का
दौरा पड़ने लगा है 
पहाड़ों को लकवा मार गया है 
खड़े होने के प्रयास में 
वह ढह-ढिमला रहे हैं 
यदा कदा 
नदि़याँ रक्तताल्पता की 
गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं 
इन नदियों के बच्चे 
सूखाग्रस्त इलाकों में 
दम तोड़ रहे हैं 
पेड़ की टाँगो पर 
आदमी की नाचती कुल्हाड़ियाँ 
बयान कर रही हैं 
बहुत कुछ।

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