बहेलियों को नायक बना दिया | दिनेश कुशवाह
बहेलियों को नायक बना दिया | दिनेश कुशवाह

बहेलियों को नायक बना दिया | दिनेश कुशवाह

बहेलियों को नायक बना दिया | दिनेश कुशवाह

जिन्होंने डगर-डगर, खेत-खलिहान 
हर लिए कितनों के प्राण 
जो घूम-घूम करते हैं 
क्रौंचमादाओं का शिकार 
वे एक हाथ में शस्त्र 
और दूसरे हाथ में शाप लिए हैं 
बपुरे निषाद और शबर तो 
उनके चरणदास हैं। 
ईश्वर सबसे बड़ा बहेलिया है 
और दीन-हीनों को सताकर 
मारने वाले उसके कृपापात्र।

क्षमा करें आदिकवि! 
आजतक एक भी बहेलिया 
नहीं हुआ अप्रतिष्ठित।

शिकारी राजा को अक्सर ऋषि 
शाप नहीं देते 
राजा हैं, जंगल हैं 
राजा और जंगल दोनो हैं 
इसलिए अजगर हैं।

कभी भूख के विरूद्ध 
लुटेरे की भूमिका निभा चुके 
आपसे अधिक कौन जानता है 
उन कवियों के बारे में जिन्होंने 
बहेलियों को नायक बना दिया।

जाल में चिड़िया फँसाने वाले 
या जल में मछली मारने वालों को 
व्याध कहना 
भुखमरों पर ज्यादती होगी 
महाराज!

क्षमा करें आदिकवि! 
आपसे अच्छा कौन जानेगा 
उन लोगों के बारे में 
जो शिकार को खेलना कहते हैं।

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