बाढ़ के बाद | कृष्णमोहन झा
बाढ़ के बाद | कृष्णमोहन झा

बाढ़ के बाद | कृष्णमोहन झा

बाढ़ के बाद | कृष्णमोहन झा

आधी रात को 
जबकि पूरा गाँव नींद की बाढ़ में डूब जाता है 
कुएँ से निकलती हैं कुछ स्त्रियाँ 
और करने लगती हैं विलाप

डबरे से निकलते हैं 
थोड़े बच्चे 
और भगदड़ मचाने लगते हैं

पेड़ों से कुछ लोग नीचे उतर आते हैं 
और उपछने लगते हैं पानी

सुना है कि हर रात को बीते हुओं की दुनिया 
जीवन के लिए छटपटाने लगती है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *