अस्थमा बीमारी का सही इलाज क्या है ?
अस्थमा बीमारी का सही इलाज क्या है ?

अस्थमा की वक्त पर पहचान से इसे नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। जी हां, अगर समय पर अस्थमा के बारे में पता लग जाए तो इसका इलाज आसान हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी में दौरा तेज होते ही मरीज के दिल की धड़कन और सांस लेने की रफ्तार बढ़ जाती है। ऐसे में वह खुद को बेचैन व थका हुआ महसूस करने लगता है। विश्व अस्थमा दिवस पर पीएसआरआई अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ। पंकज सयाल ने कहा कि इस बीमारी के लक्षणों की समय पर पहचान और उसका इलाज कर इस पर काबू पाया जा सकता है।

अस्‍थमा के प्रकार और उसके कारण

एलर्जिक अस्थमा: एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको दमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप दमा के शिकार हो जाते हैं।

नॉनएलर्जिक अस्थमा: इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज की अति होने पर होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत अधिक खांसी-जुकाम हो।

मिक्सड अस्थमा: इस प्रकार का अस्थमा किन्हीं भी कारणों से हो सकता है। कई बार ये अस्थमा एलर्जिक कारणों से तो है तो कई बार नॉन एलर्जिक कारणों से। इतना ही नहीं इस प्रकार के अस्थमा के होने के कारणों को पता लगाना भी थोड़ा मुश्किल होता है।

एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा: कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

कफ वेरिएंट अस्थमा: कई बार अस्थमा का कारण कफ होता है। जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

ऑक्यूपेशनल अस्थमा: ये अस्थमा अटैक अचानक काम के दौरान पड़ता है। नियमित रूप से लगातार आप एक ही तरह का काम करते हैं तो अकसर आपको इस दौरान अस्थमा अटैक पड़ने लगते हैं या फिर आपको अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता जिससे आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा: ये अस्थमा का ऐसा प्रकार है जो रात के समय ही होता है यानी जब आपको अकसर रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आपको समझना चाहिए कि आप नॉक्टेर्नल अस्थमा के शिकार हैं।

मिमिक अस्थमा: जब आपको कोई स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कोई बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियां होती हैं तो आपको मिमिक अस्थमा हो सकता है। आमतौर पर मिमिक अस्थमा तबियत अधिक खराब होने पर होता है।

चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा: ये अस्थमा का वो प्रकार है जो सिर्फ बच्चों को ही होता है। अस्‍थमैटिक बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो बच्चा इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप ही बाहर आने लगता है। ये बहुत रिस्की नहीं होता लेकिन इसका सही समय पर उपचार जरूरी है।

एडल्ट ऑनसेट अस्थमा: ये अस्थमा युवाओं को होता है। यानी अकसर 20 वर्ष की उम्र के बाद ही ये अस्थमा होता है। इस प्रकार के अस्थमा के पीछे कई एलर्जिक कारण छुपे होते हैं। हालांकि इसका मुख्य कारण प्रदूषण, प्लास्टिक, अधिक धूल मिट्टी और जानवरों के साथ रहने पर होता है।

सभी में अस्थमा के लक्षण एक जैसे नहीं होते हैं। ऐसे में अस्थमा के लक्षणों की पहचान करना जरूरी हो जाता है, उसके बाद ही इसका इलाज शुरू किया जा सकता है। मुख्य तौर से अस्थमा के मरीजों में छाती में जकड़न, सांस लेते और छोड़ते समय सीटी जैसी आवाज निकलना, श्वांस नली में हवा का प्रवाह सही ढंग से न हो पाना जैसे लक्षण होने पर बिना समय गवाएं अस्थमा का इलाज करवाना चाहिए, ताकि समय रहते इस बीमारी पर काबू पाया जा सकें।

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अस्थमा के उपचार में सबसे सुरक्षित तरीका इन्हेलेशन थेरेपी को माना जाता है। अस्थमा अटैक होने पर मरीज को सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है ऐसी स्थिति में इन्हेलर सीधे रोगी के फेफड़ों में पहुंचकर अपना प्रभाव दिखाना शुरू करता है, जिससे मरीज के फेफड़ों की सिकुड़न कुछ कम होती है और मरीज को राहत महसूस होती है। लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल से कई प्रकार के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

अस्थमा और इसकी उपचार पद्धति के बारे में विभिन्न भ्रांतियों को दूर करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि इंहेलेशन थेरेपी इसके उपचार का सबसे कारकर और प्रभावी तरीका है। आईसीटी में दवा की बहुत कम डोज सीधे सूजन भरी सांस की नलियों में पहुंचती है। इसके साइड इफैक्ट्स भी सीमित होते हैं। ओरल दवा का डोज आईसीटी के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। ज्यादा दवा का डोज़ शरीर के अन्य अंगों में भी जाता है, जिसे दवा की जरूरत नहीं होती है। इसके साइड इफैक्ट्स की आशंका भी अधिक होती है।”

अस्थमा को नियंत्रित करने में सबसे बड़ी चुनौती दवा का अनियमित सेवन है। लोग अक्सर लक्षण नजर न आने पर कुछ समय बाद ही दवा छोड़ देते हैं। लेकिन लक्षण न दिखने का मतलब अस्थमा मुक्त होना नहीं है। इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं और इसलिए दवा छोड़ने से पहले चिकित्सक का परामर्श आवश्यक होता है।

अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसे लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। कई रोगी जब खुद को बेहतर महसूस करते हैं तो इंहेलर लेना छोड़ देते हैं। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि आप उस इलाज को बीच में छोड़ रहे हैं, जिससे आप फिट और स्वस्थ रहते हैं। रोगियों को इंहेलर छोड़ने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। अपनी मर्जी से इंहेलर छोड़ना जोखिमभरा हो सकता है।

अस्थमा का सफल उपचार : सांस लेने में तकलीफ होने को अस्थमा कहते है। किसी चीज से एलर्जी या प्रदूषण के कारण लोगों में यह समस्या आम देखने को मिलती है। अस्थमा के कारण खांसी, सांस लेने में तकलीफ और नाक से अवाज आने जैसी प्रॉब्लम होती है। वैसे तो लोग इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करते है लेकिन कुछघरेलू उपायों द्वारा भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ अस्थमा के घरेलू उपाय बताएंगे जिससे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते है।

अस्थमा दूर करने के घरेलू उपाय

मेथी के दाने

मेथी को पानी में उबाल कर इसमें शहद और अदरक का रस मिलाकर रोजाना पीएं। इससे आपको अस्थमा की समस्या से राहत मिलेगी। लाइफस्टाइल में शामिल करें ये 10 हेल्थी आदतें, अस्‍थमा अटैक से हमेशा रहेंगे दूर

आंवला पाउडर

2 टीस्पून आंवला पाउडर में 1 टीस्पून शहद मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। रोजाना इसका सेवन अस्थमा को कंट्रोल करता है।

पालक और गाजर

पालक और गाजर के रस को मिलाकर रोजाना पीने से भी अस्थमा की समस्या दूर होती है।

पीपल के पत्ते

पीपल के पत्तों को सूखा कर जला लें। इसके बाद इसें छान इसमें शहद मिलाएं। दिन में 3 बार इसे चाटने से अस्थमा की समस्या कुछ समय में ही दूर हो जाएगी।

बड़ी इलायची

बड़ी इलायची, खजूर और अंगूर को सामान मात्रा में पीसकर शहद से साथ खाएं। इसका सेवन अस्थमा के साथ पुरानी खांसी को भी दूर करता है।

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सोंठ

सोंठ, सेंधा नमक, जीरा, भुनी हुई हींग और तुलसी के पत्ते को पीसकर 00 मि.लीटर पानी में उबाल लें। इसे पीने से अस्थमा की समस्या दूर हो जाएगी।

तेजपत्ता

तेजपत्ता और पीपल के पत्ते की 2 ग्राम मात्रा को पीसकर मुरब्बे की चाशनी से साथ खाएं। रोजाना इसे खाने से अस्थमा की समय कुछ समय में ही गायब हो जाएगी।

सूखी अंजीर

सूखी अंजीर के 4 दाने रात को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इसे पीसकर खाने से अस्थमा के साथ कब्ज भी दूर हो जाएगी।

अस्थमा में यह उपाय सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही किया जाता हैं। पीपल के पेड़ की छाल के अंदर के हिस्से को निकालकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर लें और धुप में सूखा लें, छाल के सुख जाने के बाद इसे बारीक़ पाउडर की तरह पीस ले। अब पूर्णिमा के दिन चावल की खीर बनाये और शाम को करीबन 6 बजे इस खीर को एक प्याले में अलग रख लें व इसमें पीपल के पेड़ की छाल का पाउडर 10-12 ग्राम मिला दें और अपने घर की छत पर रख दें, छत पर ऐसी जगह पर रखे जहां पर चन्द्रमा की किरन इस खीर के प्याले पर अच्छे से पड़ती हो। अब आपको शाम 6 बजे से लेकर रात 11 बजे तक इसको छत पर ही चन्द्रमा की किरण में रखे रहने दें और फिर 11 बजे बाद इस खीर को खाले, यह दमा व अस्थमा का पक्का घरेलु इलाज लाभकारी हैं।

नोट : इस खीर को खाने के बाद रात भर रोगी को सोना नहीं हैं, किसी भी तरह उसे पूरी रात जागना हैं तभी जाकर यह खीर अस्थमा को जड़ से मिटा पाएगी। यह उपाय सिर्फ पूर्णिमा की रात में ही काम करता हैं यह अस्थमा का एक चमत्कारी उपाय हैं आप जरूर करे 100% उपचार करती हैं।

Pollution व एलर्जी के कारण अस्थमा होने पर पीपल के पेड़ की छाल को कूटकर के इसका सुबह शाम काढ़ा बनाकर के एक दो महीने तक पिए। जिसे भी एलर्जी व पर्यावरण के कारण हुआ है उसका 100% इस घरेलु उपाय (home remedies) से अस्थमा दूर हो जायेगा।

धतूरा से करे उपचार

अस्थमा के लिए बराबर मात्रा में धतूरे के फल व पत्तियों को लेकर छाया में सूखा ले, सुख जाने के बाद के बाद इन दोनों को बारीक़-बारीक़ कूट या कुचल लें। फिर उस मिश्रण को मिटटी की हंडियां में डाल दें और हंडियां का मुंह किसी कपडे से बांध दें और ऊपर से कपडे पर गीली मिटटी लगा दें।

अब आग के अंगारो पर इस मिटटी की हंडिया को रख दें जब इसके अंदर रखे धतूरा के पत्ते व फल जल कर भस्म हो जाये तो उसे उतारकर के अलग रख लें। अब रोजाना सुबह व शाम आधा ग्राम की मात्रा से कम इस भस्म को लेकर के शहद में मिलाकर के रोगी को चटाये। यह कफ और अस्थमा के घरेलू उपचार हैं।

Asthma Attack Remedies – जिनको इस रोग का दौरा पढ़ रहा हो उस समय छाया में सुखाये हुए धतूरे के पत्तों को चिलम में तम्बाकू की तरह भरकर पिए। इससे अटैक का तुरंत इलाज होता हैं।

दमा – अस्थमा का अटैक आने पर गर्म पानी में निम्बू निचोड़कर पिने से भी आराम मिलता हैं।

अगर आप होमियोपैथी उपचार की दवा लेने का सोच रहे हैं या एलॉपथी का प्रयोग करना चाहते हैं तो में आपसे कहूंगा की, यह सभी अस्थमा रोग को दूर नहीं करती बल्कि यह उस बीमारी को दबाती हैं। डॉक्टर खुद मानते हैं की इस सांस अस्थमा के रोग का ट्रीटमेंट एलॉपथी और होमियोपैथी में नहीं कर सकती।

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अस्थमा में राजीव दीक्षित जी – आधा कप गौ मूत्र रोजाना सुबह के समय तीन महीनो तक पिने से 101% लाभ मिलता हैं। फिर रोगी को जिंदगी में दुबारा या बीमारी नहीं होती। हमने इस आयुर्वेदिक नुस्खे से हजारो लोगों का उपचार किया हैं।

अस्थमा में दालचीनी को शहद में डालकर के 5-7 मिनट तक रगडिये और फिर इसको चाट कर रोगी को खिला दें, यह उपाय वात-कफ व शरीर के 50 रोगो का उपचार करता हैं। दमा में भी इससे लाभ होता हैं।

acupressure for asthma

बाए हाथ की आखिरी तीन उंगलियों के निचे के हिस्से को दिन में 7-8 बार रगड़ना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र श्वसन तंत्र का होता हैं इसको रगड़ने से श्वसन तंत्र अस्थमा में अस्थमा में अत्यंग लाभ होता हैं।

इस बीमारी के रोगी को रात को सोने से पहले गर्म पानी पीकर सोना चाहिए इससे रोग में लाभ होता हैं और चैन की नींद आती हैं।

5 से 8 दिन में पूरा आराम

दमबेल – रोजाना सुबह के समय दमबेल के एक पत्ते को दातों से चबाकर खाने से 5 से 8 दिनों में यह बीमारी ख़त्म हो जाती हैं। दमाबेल का पत्ता खाने के बाद एक घंटे तक कुछ भी न खाये व दिन में भरपूर मात्रा में पानी पीते रहे। यह उपाय अत्यंक लाभकारी हैं। इसके सेवन से शरीर में मौजूद अस्थमा कारक शरीर से बाहर निकल जाते हैं। (अगर रोगी को यह पत्ता कहते ही उलटी होती हैं तो इस पत्ते के टुकड़े-टुकड़े कर के थोड़ी-थोड़ी देर में खाये)

बाबा रामदेव पतंजलि अस्थमा की दवा

दिव्य त्रिकाटू चूर्ण – श्वसन तंत्र की सफाई करता हैं, सारे कचरे को शरीर से बाहर निकाल देता हैं।

दिव्य स्वसारी रस – इसके सेवन से भी रोगियों को अत्यंत लाभ मिलता हैं, इसके सेवन से कोई नुकसान नहीं होता।

बाबा रामदेव द्वारा बताई गई अस्थमा की दवा के बारे में आप पतंजलि के स्टोर पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, इनको लेने की विधि भी वह आपको अच्छे से समझा देंगे।

ऐसा भोजन करना चाहिए जो जल्दी से पच जाए, तेज मसालेदार तेल से बनी चीजों का परहेज करना चाहिए। इसमें रोगी को हरी सब्जियां खाना चाहिए इस तरह आहार पर ध्यान देंगे तो बताये गे देसी नुस्खे भी अस्थमा में बेहतर असर दिखाएंगे।

बिना दवा के छुटकारा पाए

साँस अस्थमा का इलाज में स्वर चिकित्सा घरेलु उपाय – रोगी को भोजन करने से पहले व भोजन करने के बाद तक दाया स्वर (सूर्य स्वर) चलाना चाहिए, इसके लिए आप बाए बाए स्वर (चंद्र स्वर) में रुई अथवा कुछ लगा दें जिससे बाया स्वर बंद हो जाए। यानी आपको सिर्फ दाया स्वर से ही स्वानं लेनी हैं। भोजन करने के 15 मिनट पहले से ही यह शुरू कर दें और भोजन करे के बाद 20-25 मिनट तक यही चलने दें। इससे अस्थमा की शिकायत उतपन्न होना बंद हो जाती हैं, प्राकृतिक चमत्कारी बिना दवा के दमा का इलाज।

अस्थमा के लिए योग – रोगी को रोजाना नियमित रूप से कपालभाति, अनुम विलोम प्राणायाम कम से कम 10 मिनट रोजाना करना चाहिए। अगर इस रोग को जल्दी खत्म काना चाहते हैं तो दोनों प्राणायाम को 25-25 मिनट्स तक करे, इनके प्रयोग से चमत्कारिक लाभ होता हैं।

जब भी आपको दौरे आये, सांस चलने लगे तो उस समय हल्दी का दूध पिए जल्द आराम मिलेगा।

इस रोग में गर्म कॉफ़ी पिने से तुरंत राहत मिलती हैं।

सरसों और कपूर के तेल को गर्म करके छाती पर मालिश करने से इस सांस की बीमारी के लक्षण ख़त्म होते हैं।

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