मैं ही जलती हूँमैं ही बुझती हूँकभी अगरबत्ती की सुगंध बन जाती हूँकभी धुँआ उगलती चिमनीअँधेरे में हो या उजाले मेंमैं ही तो हूँऔर कोई नहींकोई नहीं…