आओ जलाएँ | महेन्द्र भटनागर
आओ जलाएँ | महेन्द्र भटनागर

आओ जलाएँ | महेन्द्र भटनागर

आओ जलाएँ | महेन्द्र भटनागर

आओ जलाएँ
कलुष-कारनी कामनाएँ !

नये पूर्ण मानव  बनें हम,
सकल-हीनता-मुक्त, अनुपम
आओ जगाएँ
भुवन-भाविनी भावनाएँ !

नहीं हो  परस्पर  विषमता,
फले व्यक्ति-स्वातंत्र्य-प्रियता,
आओ मिटाएँ
दलन-दानवी-दासताएँ !

कठिन प्रति चरण हो न जीवन,
सदा हों  न नभ पर  प्रभंजन,
आओ बहाएँ
अधम आसुरी आपदाएँ !

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