आँखों की धुंध में | भुवनेश्वर
आँखों की धुंध में | भुवनेश्वर

आँखों की धुंध में | भुवनेश्वर

आँखों की धुंध में | भुवनेश्वर

आँखों की धुंध में उड़ती-सी 
अफवाह का एक अजब मजाक है 
यह पिघलते हुए दिल और 
नमाई हुई रोटी का 
हीरा तो खान में एक 
प्यारा-सा फसाना है 
किसी पत्थरदिल और 
नम आँखोंवाली रोटी का 
गरीबी के पछोड़ में 
गम के दानों की रुत है 
सब्र का बँधा हुआ मुँह 
खुल जाएगा कल के अखबारों में 
बस और कुछ नहीं

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