सारी औरतों नेअपने-अपने घरों के दरवाजे़तोड़ दिए हैंपता नहींवे सबकी सब गलियों में भटक रही हैंयापक्की-चौड़ी सड़कों पर दौड़ रही हैंयाचौराहों के चक्कर काट-काट करजहाँ से चली थींवहीं पहुँच रही हैं तितलियाँ ।