(सम्वत 2073= 8 अप्रेल 2016 से शुरू)
5 मिनट अपनी सस्कृति की झलक को पढ़े।
◆1 जनवरी को क्या नया होता  है ?
◆न ऋतू बदलती …न मौसम!
◆न कक्षा बदलती… न सत्र!
◆न फसल बदलती…न खेती!
◆न पेड़ पोधों की रंगत!
◆न सूर्य चाँद सितारों की दिशा!
◆ना ही नक्षत्र!!
◆1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं।मानो कितना बड़ा पर्व है।
◆नया एक दिन का नही होता कुछ दिन तो नई अनुभूति होंनी ही चाहिए। हमारा देश त्योहारों का देश है।
◆ईस्वी संवत का नया साल 1जनवरी को और भारतीय नववर्ष ( विक्रमी संवत)चैत्र शुक्ल प्रति
पदा को मनाया जाता है।
आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर।
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1-प्रकृति◆
1जनवरी कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी।जबकि चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ों  पर नए पत्ते आ जाते हैं।चारो तरफ हरियाली हुआ करती है मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।
2- वस्त्र◆
दिसम्बर और जनवरी में वही उनी वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ-पैर । जबकि चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है और
गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है ।
3- विद्यालयो का नया सत्र◆
दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नही। जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।
4- नया वित्तीय वर्ष◆
दिसम्बर जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती। जबकि 31 मार्च को बैंको की(audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है।
सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।
5- कलैण्डर◆
जनवरी में नया कलैण्डर ज़रूर आता है पर चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं ।
इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्व पूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।
6- किसानो का नया साल◆
दिसंबर जनवरी में खेतो में वही फसल होती है
जबकि मार्च अप्रैल में फसल कटती है, नया अनाज घर में आता है तो किसानो के जीवन में भी नया वर्ष उत्साह का संचार करता है ।
7- पर्व मनाने की विधि◆
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश करते जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है, पहला नवरात्र होता है, घर-घर मे माता रानी की पूजा होती है।
शुद्ध-सात्विक वातावरण बनता है।
8- ऐतिहासिक महत्त्व◆
1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है,
जबकि चैत्र प्रतिपदा का दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्रे प्रारंम्भ और ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना के तौर पर मनाया जाता है।
…अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदलता….
जबकि अपना नव संवत् ही नया साल है।
…जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य और चाँद की दिशा, मौसम,फसल,कक्षा,नक्षत्र,पौधों की नई पत्तिया,किसान की नई फसल,विद्यार्थी की नई कक्षा,मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि जैसे परिवर्तन होते हैं…जो सचमुच विज्ञान आधारित हैं।
…अपनी मानसिकता को बदले…विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने।
…स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को… नया वर्ष केवल कैलेंडर बदलें…अपनी संस्कृति नही।
■आओ जगे जगाएं,
■भारतीये संस्कृति अपनाएं और आगे बढ़ें ।
■हम 8 अप्रैल 2016 को हिन्दू नववर्ष मना रहे हैं…
आप भी मनाएं, औरों को भी बताए।

……☆2073 चैत मास☆……
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….भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये।
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