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“जो भाग्य में है , वह भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह आकर भी भाग जाएगा…!”
यहाँ सब कुछ बिकता है , दोस्तों रहना जरा संभाल के ,
बेचने वाले हवा भी बेच देते है , गुब्बारों में डाल के ,
सच बिकता है , झूट बिकता है,
बिकती है हर कहानी ,

तीनों लोक में फेला है , फिर भी
बिकता है बोतल में पानी ,
कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे ,
टूट कर बिखर्र जाओगे ,
जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए ,
“भगवान” बन जाओगे….!!
“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
“नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!

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सड़क कितनी भी साफ हो
“धुल” तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
“भूल” तो हो ही जाती है!!!

आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और
परछाई कभी साथ नही छोङती……
खाने में कोई ‘ज़हर’ घोल दे तो
एक बार उसका ‘इलाज’ है..
लेकिन ‘कान’ में कोई ‘ज़हर’ घोल दे तो,
उसका कोई ‘इलाज’ नहीं है।

See also  इसका क्या मतलब है! | कृष्णमोहन झा

“मैं अपनी ‘ज़िंदगी’ मे हर किसी को
‘अहमियत’ देता हूँ…क्योंकि
जो ‘अच्छे’ होंगे वो ‘साथ’ देंगे…
और जो ‘बुरे’ होंगे वो ‘सबक’ देंगे…!!

अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि
गर्व कीजिये क्योंकि “
मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।”

See also  बेचैनी | बसंत त्रिपाठी

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही ,
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!

एक सत्य यह है की :-
“अगर जिन्दगी इतनी अच्छी होती तो हम इस दुनिया में रोते- रोते न आते…..!!

मगर एक मीठा सत्य यह भी है की :-
“अगर यह जिन्दगी बुरी होती तो जाते-जाते लोगों को रुलाकर न जाते….!!
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